माता सरस्वती की जन्म कथा का क्या है रहस्य?

by - July 30, 2025

माता सरस्वती की जन्म कथा का क्या है रहस्य?


पुराणों में माता सरस्वती के बारे में बहुत से भिन्न-भिन्न मत मिलते हैं। पुराणों में ब्रह्मा के मानस पुत्रों का जिक्र है, लेकिन जानकारों के अनुसार माता सरस्वती जी ब्रह्मा जी की पुत्री रूप से प्रकट हुईं,  ऐसा कहीं भी उल्लेख नहीं मिलता है। एक अन्य पौराणिक उल्लेख अनुसार देवी महालक्ष्मी (लक्ष्मी नहीं) से जो उनका सत्व प्रधान रूप उत्पन्न हुआ, देवी का वही रूप सरस्वती कहलाया। हालांकि इस पर शोध किये जाने की जरूरत है कि वास्तव में माता सरस्वती किसकी पुत्री थी।



माता सरस्वती के जन्म की प्रारम्भिक कथा- हिन्दुओ के धरम के पवित्र दो ग्रंथों में 'सरस्वती पुराण' (यह एक मात्र एक पुराण है, जिसका विवरण १८ पुराणों में शामिल नहीं है) और एक 'मत्स्य पुराण' है, जिसमे सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा का माता सरस्वती से विवाह करने का सम्पूर्ण प्रसंग शामिल किया गया है, इस विवाह के फलस्वरूप इस धरती पर एक प्रथम मानव 'मनु' का जन्म हुआ। पुराने समय में कुछ विद्वान मनु की पत्नीं शतरूपा को ही सरस्वती मन करते हैं। सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी के साथ ही अनेको नामों से उनकी पूजा की जाती है। माता सरस्वती ने संगीत की उत्पत्ति की इसिलए उनको संगीत की देवी भी कहा जाता हैं। आज भी वसंत पंचमी के दिन को हम माता सरस्वती जन्मोत्सव के रूप में मनाते हैं।



मत्स्य पुराण में इस एक कथा को थोड़ा सा अलग बताया गया है। मत्स्य पुराण के अनुसार भगवान  ब्रह्मा के पांच सिर मने जाते थे। कालांतर में भगवान ब्रह्मा का पांचवां सिर शिवजी ने काट कर अलग कर दिया था, जिसके चलते भगवान ब्रह्मा जी का नाम कापालिक पढ़ गया। इस सिर के लिए एक और अन्य मान्यता भी है, जिसके अनुसार भगवान ब्रह्मा का ये सिर काल भैरव ने काट कर अलग किया था।

पुराणों में कहा जाता है कि जब भगवान ब्रह्मा ने इस सुन्दर सृष्टि की रचना की तो वह इस समस्त ब्रह्मांड में अकेले ही इंसान थे। ऐसे में उन्होंने सबसे पहले अपने मुख से सरस्वती, सान्ध्य, ब्राह्मी को उत्पन्न किया था। वे माता सरवस्ती के प्रति आकर्षित होने लग गए और लगातार उन पर अपनी दृष्टि बनाये रखते थे। ब्रह्मा की उस दृष्टि से बचने के लिए माता सरस्वती हमेशा अपने चारों ओर की  दिशाओं में छिपती रहीं, लेकिन माता सरस्वती कभी भी उनसे नहीं बच पाईं। इसलिए आखिर में माता  सरस्वती आकाश में जाकर छिप गईं, लेकिन ब्रह्मा ने अपने पांचवें सिर के होने के कारण उनको अपने  पांचवे सर से आकाश में भी माता सरस्वती को खोज निकाला और उनसे अपनी इस सुन्दर सृष्टि की रचना में सहयोग करने के लिए निवेदन किया। सरस्वती से विवाह करने के पश्चात उन्होंने सबसे पहले स्वयंभु मनु एक मानव को जन्म दिया। भगवान ब्रह्मा और माता सरस्वती की यह सर्वप्रथम  संतान मनु को पृथ्वी पर जन्म लेने वाला पहला मानव कहा जाता है। लेकिन एक अन्य कथा के अनुसार स्वायंभुव मनु ब्रह्मा के मानस पुत्र मने जाते थे। इस प्रकार भगवान ब्रह्मा ने और माता सरस्वती ने मिल कर इस सुन्दर सी सृष्टि की रचना शुरू की।

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